साइबर लिटरेसी- ऑनलाइन गेमिंग के नाम पर 14 लाख ठगे:अक्षय कुमार की बेटी से मांगी न्यूड तस्वीरें, बच्चों को इस स्कैम से कैसे बचाएं

साइबर लिटरेसी- ऑनलाइन गेमिंग के नाम पर 14 लाख ठगे:अक्षय कुमार की बेटी से मांगी न्यूड तस्वीरें, बच्चों को इस स्कैम से कैसे बचाएं

Published at : 2025-11-29 23:00:00
पिछले दिनों लखनऊ में ठगों ने ऑनलाइन गेमिंग के बहाने एक छात्र से 14 लाख रुपये ऐंठ लिए। उसने अपने पापा के अकाउंट से 14 लाख रुपए ट्रांसफर किए थे। ठगे जाने के बाद छात्र को इतना सदमा लगा कि उसने आत्महत्या कर ली। जांच में खुलासा हुआ कि आरोपियों ने गेमिंग ID और अपग्रेडेशन का लालच देकर छात्र से पैसे वसूले और फिर धोखा दिया। पिछले महीने ‘साइबर अवेयरनेस मंथन 2025’ में अभिनेता अक्षय कुमार ने भी अपनी बेटी के साथ हुई एक घटना का जिक्र किया था। उन्होंने बताया कि ऑनलाइन गेमिंग के दौरान एक अनजान व्यक्ति ने उनकी बेटी से न्यूड फोटोज मांगे। उसने अपनी मां ट्विंकल को बताया। ये सब साइबर अपराध का हिस्सा हैं। ऑनलाइन गेमिंग में सबसे ज्यादा टीनएजर्स और युवा एक्टिव हैं। साइबर ठग आसानी से उन्हें अपना निशाना बना रहे हैं। हालांकि थोड़ी सावधानी और जागरुकता से इसे रोका जा सकता है। इसलिए ‘साइबर लिटरेसी’ कॉलम में आज ऑनलाइन गेमिंग स्कैम की बात करेंगे। साथ ही जानेंगे कि- एक्सपर्ट: राहुल मिश्रा, साइबर सिक्योरिटी एडवाइजर, उत्तर प्रदेश पुलिस सवाल- ऑनलाइन गेमिंग में साइबर ठगी कैसे हो रही है? जवाब- ऑनलाइन गेमिंग में साइबर ठग टीनएजर्स और युवाओं की कमजोरियों का फायदा उठाते हैं। ठग खुद को गेम का 'प्रो प्लेयर' या 'सेलर' बताकर संपर्क करते हैं। वे इन्हें गेम चैट, सोशल मीडिया या फेक ऐप्स के जरिए लालच देते हैं, जैसे “तुम्हारी आईडी अपग्रेड कर दूंगा, नए स्किल मिलेंगे या अनलिमिटेड कॉइन्स मिलेंगे।” टीनएजर्स उनकी बात पर विश्वास कर लेते हैं और पैसे ट्रांसफर कर देते हैं। कई बार ठग फेक गिफ्ट कार्ड्स या चीट कोड्स बेचते हैं, जो काम ही नहीं करते। सवाल- भारत में ऑनलाइन गेमिंग स्कैम क्यों बढ़ रहे हैं? जवाब- भारत में ऐसे स्कैम इसलिए बढ़ रहे हैं क्योंकि भारत में गेमिंग एप्स के सब्सक्रिप्शन आसानी से मिल जाते हैं। लखनऊ के मामले को देखें तो बच्चा गेम में लगातार हारता गया और अपग्रेड के चक्कर में पिता के अकाउंट से पैसे निकालकर ट्रांसफर करता रहा। ठग अक्सर फिशिंग लिंक्स भेजते हैं, जो डिवाइस हैक कर लेते हैं और बैंक डिटेल्स चुरा लेते हैं। सवाल- अक्सर इसमें टीनएजर्स या युवा क्यों फंसते हैं? जवाब- टीनएजर्स और युवा इस स्कैम में सबसे ज्यादा इसलिए फंसते हैं, क्योंकि उनकी उम्र में उत्साह, प्रतिस्पर्धा और दोस्तों से आगे निकलने की चाहत ज्यादा होती है। कई बार घर में अकेलापन या पढ़ाई का दबाव उन्हें गेम्स की ओर धकेलता है। ठग इसी का फायदा उठाते हैं। वे टीनएजर्स के दोस्त बनकर बात करते हैं, उनकी कमजोरियां समझकर उन्हें फंसा लेते हैं। कई युवा पैसे गंवाने के बाद डर जाते हैं और परिवार को बताने की बजाय और पैसे उधार लेते हैं। ऑनलाइन गेमिंग में 70% से ज्यादा साइबर ठगी के शिकार 18-25 साल के युवा हैं। सवाल- गेमिंग आईडी बेचने या अपग्रेड कराने के नाम पर धोखाधड़ी करने का तरीका क्या होता है? जवाब- ठग पहले गेम में टीनएजर्स से दोस्ती करते हैं। फिर कहते हैं कि उनकी आईडी 'प्रो लेवल' की है और वे उसे सस्ते में बेचेंगे या अपग्रेड करेंगे। बच्चा पैसे भेजता है, लेकिन ठग आईडी ट्रांसफर नहीं करते या फेक आईडी देते हैं। कई बार वे 'अपग्रेड' के बहाने टीनएजर्स की असली आईडी का पासवर्ड मांगते हैं और फिर अकाउंट हैक कर लेते हैं। भारत में ऐसे स्कैम सोशल मीडिया ग्रुप्स पर चलते हैं, जहां ठग फेक स्क्रीनशॉट्स दिखाकर भरोसा जीतते हैं। ठग अक्सर UPI या वॉलेट से छोटी-छोटी रकम मांगते हैं, ताकि बच्चा फंसता रहे। बाद में ब्लैकमेल भी करते हैं कि पैसे नहीं दिए तो आईडी डिलीट कर दूंगा। सवाल- साइबर ठग डिजिटल पेमेंट के किन तरीकों का इस्तेमाल करके पैसे उड़ा लेते हैं? जवाब- ठग टीनएजर्स को UPI आईडी या बैंक डिटेल्स शेयर करने के लिए बहकाते हैं। उन्हें बोलते हैं कि पैसे भेजो तो रिवॉर्ड मिलेगा। मोबाइल में बैंक ऐप्स लिंक होते हैं। इसलिए अगर बच्चा OTP या PIN जानता है, तो ट्रांसफर आसानी से हो जाता है। ठग फिशिंग ऐप्स भी भेजते हैं, जो बैंक डिटेल्स कैप्चर कर लेते हैं। कई बार वे फेक पेमेंट गेटवे बनाते हैं, जहां बच्चा इन-ऐप की खरीदारी करता है और पैसे ठग के अकाउंट में चले जाते हैं। ठग इसके लिए मल्टीपल अकाउंट्स इस्तेमाल करते हैं, ताकि ट्रेसिंग न हो सके। सवाल- पेरेंट्स कैसे समझें कि उनका बच्चा ऑनलाइन गेमिंग या साइबर फ्रॉड के जाल में फंस रहा है? जवाब- पेरेंट्स को टीनएजर्स के व्यवहार पर नजर रखनी चाहिए। अगर बच्चा ज्यादा समय फोन पर बिता रहा है, लगातार देर रात तक जाग रहा है या अचानक गुस्सा कर रहा है तो अलर्ट हो जाएं। बैंक से अचानक ट्रांजैक्शन अलर्ट आएं या बिल बढ़े, तो तुरंत जांचें। बच्चा अगर पॉकेट मनी ज्यादा मांगता है या चीजें छिपाता है तो उससे बात करें। अगर बच्चा तनाव में दिखे या दोस्तों से दूरी बनाए, तो सतर्क हो जाएं। सवाल- बच्चों को इस बारे में कैसे जागरुक करें? जवाब- साइबर लिटरेसी मतलब डिजिटल दुनिया की समझ। बच्चों को सिखाएं कि अनजान लोगों से बात न करें, किसी के भेजे लिंक्स पर क्लिक न करें और पैसे सिर्फ ऑफिशियल तरीके से खर्च करें। पेरेंटल कंट्रोल ऐप्स से बच्चों के फोन में गेम टाइम की लिमिट सेट करें। जो अकाउंट बच्चों के पास है, उसमें बैंक अकाउंट पर ट्रांजैक्शन लिमिट रखें, OTP शेयर न करें। टीनएजर्स को बताएं कि गेम में हार-जीत सामान्य है, असली जीवन महत्वपूर्ण है। सवाल- किसी के साथ ऑनलाइन गेमिंग स्कैम हो जाए तो क्या करना चाहिए? जवाब- सबसे पहले तो घबराएं नहीं। तुरंत बैंक को कॉल करके ट्रांजैक्शन ब्लॉक करवाएं। सारे सबूत जैसे चैट, स्क्रीनशॉट्स सेव करें। 1930 हेल्पलाइन पर कॉल करें या www.cybercrime.gov.in पर शिकायत दर्ज करें। टीनएजर्स को समझाएं कि गलती से ही सीख मिलती है। उन्हें दोष न दें। तुरंत सारे पासवर्ड बदलें। जितनी जल्दी हो सके, रिपोर्ट दर्ज करवाएं। इससे पैसे वापस मिलने की संभावना बढ़ जाती है। सवाल- साइबर क्राइम से जुड़े मामलों में पुलिस और साइबर सेल किस तरह मदद कर सकती है? जवाब- पुलिस शिकायत पर FIR दर्ज करती है, ठगों की लोकेशन ट्रैक करती है। साइबर सेल डिजिटल सबूत जांचती है, अकाउंट्स फ्रीज करवाती है। भारत में हर राज्य में साइबर सेल है। उन्हें इसके लिए खास ट्रेनिंग मिलती है। सवाल- गेमिंग की लत इतनी खतरनाक क्यों है? जवाब- गेमिंग की लत डिजिटल नशा है। टीनएजर्स पढ़ाई छोड़ देते हैं, सोते नहीं हैं और पैसे खर्च करते हैं। कई गेम्स डोपामाइन बढ़ाते हैं, जिससे एडिक्शन होता है। बच्चों की आउटडोर एक्टिविटी बढ़ाएं, उनके फोन इस्तेमाल करने की लिमिट सेट करें। ......................... साइबर लिटरेसी से जुड़ी ये खबर भी पढ़िए साइबर लिटरेसी- SIR फॉर्म के नाम पर स्कैम: साइबर ठग ऐसे बना रहे शिकार, एक्सपर्ट से जानें इस फ्रॉड से बचने के तरीके साइबर ठग SIR के नाम पर लोगों को फर्जी लिंक और APK फाइल भेज रहे हैं। वे खुद को चुनाव कर्मचारी बताकर कॉल करते हैं और कहते हैं कि ‘आपका नाम वोटर लिस्ट से हट सकता है, इस फॉर्म को तुरंत भरिए।’ लोग जैसे ही उस लिंक या फाइल को खोलते हैं, ठग मोबाइल का एक्सेस ले लेते हैं। पूरी खबर पढ़िए...