एन. रघुरामन का कॉलम:क्या आप अपनी स्किल, हेल्थ, टाइमपास संबंधी चेतावनियां सुन पा रहे हैं?

एन. रघुरामन का कॉलम:क्या आप अपनी स्किल, हेल्थ, टाइमपास संबंधी चेतावनियां सुन पा रहे हैं?

Published at : 2025-06-26 00:30:00
अगर आप 19 से 35 वर्ष की आयु के बीच में हैं, तो दूर बज रही चेतावनी वाली घंटियां सुनकर कान मत बंद कर लीजिए। आज भले लग सकता है कि तत्काल ये खतरा नहीं है। पर मेरा भरोसा करें कि ऊपर बताए गए आयुवर्ग के भविष्य पर यह गहरा असर डालने जा रहा है। यहां तीन ऐसे क्षेत्र हैं, जो तब ही दिखेंगे, जब आपकी नजर पैनी होगी। 19 से 25 वर्ष के लिए टाइमपास का एरियाः ‘यदि आप कॉलेज जाने वाले स्टूडेंट हैं तो कृपया रात 9 बजे तक घर आ जाएं और यदि लेट हो रहे हैं तो कम से कम 9.01 तक लौट ही आएं।’ इस पर हंसे नहीं। ये मजाक नहीं है। कॉलेज के जिन कार्यक्रमों में मैं गया हूं, वहां यह कहता रहा हूं। मैं इसके कारण भी बताता रहा हूं। ज्यादातर अपराध रात 9 से सुबह 4 बजे तक होते हैं। इसके सबूत भी हैं। इस साल के पहले चार महीनों में गोवा पुलिस ने 2021 से 2024 की तुलना में अधिक नशीली दवाएं जब्त की हैं। चार वर्षों में पुलिस ने वहां 21 करोड़ रु. की ड्रग जब्त की, जबकि चार महीनों में ही 68 करोड़ रु. की कर ली है! चूंकि राज्य में ड्रग की अवैध तस्करी और खासतौर पर युवाओं में इसका इस्तेमाल बढ़ा है, इस स्थिति में गोवा पुलिस ने अभिभावकों से मदद मांगी है कि वे देर से घर लौटने वाले बच्चों और उनकी आदतों पर नजर रखें। यदि आप टाइमपास करना चाहते हैं तो दिन में करें, वो भी खुली जगहों पर ना कि धुएं के गुबार में किसी छिपी जगह पर! 25 से 35 आयु वर्ग के लिए सेहत का क्षेत्र: यदि आप सोचते हैं कि आपको डेस्क जॉब मिल गई है और आपको लगता है कि ‘जिंदगी कट जाएगी’, तो मैं आपसे पूछता हूं, ‘कहां से कटेगी’। यह भी कोई मजाक नहीं। इसके भी सबूत हैं। बेंगलुरु के डॉक्टर्स का कहना है कि वे युवाओं में तेजी से बढ़ते स्लिप डिस्क के मामले देख रहे हैं। उनमें से कई तो घंटों तक स्क्रीन पर नजरें गढ़ाए रहते हैं। कंधे झुकाए डेस्क पर बैठे रहते हैं या लंबी दूरी की यात्राएं करते हैं। जो स्वास्थ्य समस्याएं कभी बुजुर्गों में आम होती थीं, वे अब किशोरों और ऑफिस जाने वालों को प्रभावित कर रही हैं। चिकित्सकों के अनुसार मांसपेशियों की कमजोरी असली समस्या है। लोग घंटों बैठे रहते हैं, शायद ही हिलते-डुलते हैं और स्ट्रेंथ नहीं बढ़ाते। गलत पॉश्चर में बैठना, तनाव, विटामिन डी एवं बी-12 की कमी, साथ ही व्यायाम की कमी इसे और बदतर कर रही है। दुर्भाग्य से कमर दर्द की समस्या मजदूरों में नहीं, व्हाइट कॉलर कर्मचारियों में है। इसलिए सेहत के प्रति सावधान रहें। 35 और अधिक आयु के लिए कौशल का क्षेत्र: उस कौवे की कहानी तो याद होगी, जो प्यास बुझाने के लिए उस बोतल में कंकड़ डालकर उसका जलस्तर ऊंचा ले आया था? कौवे को लगा कि वो समझदार है। पर इसके पहले की ओर एक और कहानी है, जिसमें कौवा अपनी चोंच में रोटी दबाए जा रहा था। भूखी लोमड़ी ने कौवे के गाने की झूठी प्रशंसा की और जैसे ही उसने मुंह खोला, रोटी गिर गई और लोमड़ी उसे लेकर भाग गई। आप और हम वैसे ही कौवे हैं। फिर से ये मजाक नहीं है। इसके भी सबूत हैं। यदि आप सोचते हो कि आपके पास नर्म इडली, कुरकुरे वड़ा बनाने का कौशल है और आपकी मांग हमेशा रहेगी तो एक नजर दक्षिण भारतीय होटलों पर डालिए, जहां इन्हें बनाने के लिए मशीन का प्रयोग हो रहा है। कईयों ने देखा है कि वहां मशीनें वड़ा बना रही हैं और भाप निकलते बर्तन में पोंगल स्टिर कर रही हैं। (जैसे कड़ाही में सब्जी चलाते हैं।) हालांकि, अभी पूरी तरह ऑटोमेशन नहीं हुआ है, खासकर क्षेत्रीय विरासत, पारिवारिक व्यंजनों के लिए, जो पीढ़ी दर पीढ़ी चले आ रहे हैं। लेकिन आपको ये सुनिश्चित करना होगा कि अब से आपकी रेसिपी मशीनों के लिए गुप्त ही रहे। बदलती तकनीक के युग में यह संभव है कि मशीनें रातों-रात ही हमारी नौकरी ले लें। बदलावों को देखने के लिए अपने कान-नाक खुले रखें और इसके अनुसार खुद को ‘री-स्किल’ करें। फंडा यह है कि दूर कहीं बज रही चेतावनी की घंटियों को ध्यान से सुनिए, इससे पहले कि ये करीब आ जाएं और हमारे अस्तित्व के लिए खतरा बन जाएं।