पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम:जिद संकल्प बन सकती है, पर अड़ियल-वृत्ति नहीं

पं. विजयशंकर मेहता का कॉलम:जिद संकल्प बन सकती है, पर अड़ियल-वृत्ति नहीं

Published at : 2025-07-09 00:30:00
अड़ियल रवैये और जिद्दी होने में फर्क है। इन दिनों देखने में आ रहा है कि हमारे बच्चे अ​ड़ियल हो गए हैं। जिद्दी बच्चे की ऊर्जा तो किसी दिन संकल्प में बदल सकती है, पर अड़ियल-वृत्ति तो नकारात्मकता ही लाएगी। और ये दो बातें बच्चों के जीवन में सोशल मीडिया की अति के कारण हो रही हैं। सरकार इसके कानून कब बनाएगी, एआई का नियंत्रण कैसे होगा, कोई नहीं जानता। अब तो एआई के खिलाफ क्या बोलना और सोचना है, ये भी एआई ही बता रहा है। तो हमें अपने घरों में कुछ करना ही पड़ेगा। पहले घर के सदस्य कभी-कभी दु:खी और निराश होते थे। अब ये कभी-कभी शब्द लगातार में बदल गया है। अब घरों में लोग लगातार दु:खी और हताश हो रहे हैं। इसमें हम कोशिश करें कि हमारे घर में 16 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए एक नियम बनाएं कि रात को 9 बजे के बाद और सुबह 9 बजे से पहले सोशल मीडिया से दूरी बना ली जाए। जीवन बहुत अधिक ऑटोमैटिक हो जाने से दायित्व-बोध समाप्त हो जाता है। और अगर दायित्व-बोध मृत हो गया तो परिवार को जीवित रखना बड़ा कठिन हो जाता है।