थॉमस एल. फ्रीडमैन का कॉलम:अमेरिका को अपनी कम्पनी की तरह चला रहे हैं ट्रम्प

थॉमस एल. फ्रीडमैन का कॉलम:अमेरिका को अपनी कम्पनी की तरह चला रहे हैं ट्रम्प

Published at : 2025-06-10 00:30:00
वॉल स्ट्रीट के विश्लेषकों ने यह मजाक करना शुरू कर दिया है कि ट्रम्प के व्यवहार को भांपने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप ‘टाको ट्रेड’ का अभ्यास करें। इसका अर्थ है ‘ट्रम्प ऑलवेज चिकन आउट’। यानी जरूरत पड़ने पर ट्रम्प हमेशा बच निकलते हैं। इशारा यह है कि ट्रम्प चाहे जितने जोर-शोर से टैरिफ की घोषणा करें, वे देर-सबेर उससे मुकर जाएंगे। एक दिन वे यूक्रेन को अपने से दूर कर रहे होते हैं, अगले दिन यूक्रेन पर खनिज सौदे के लिए दवाब बना रहे होते हैं, फिर तीसरे दिन यूक्रेन फिर से उनकी योजनाओं में शामिल हो जाता है। एक दिन व्लादिमीर पुतिन ट्रम्प के दोस्त होते हैं, अगले ही दिन ट्रम्प उन्हें ‘क्रेजी’ बता देते हैं। एक दिन कनाडा अमेरिका का 51वां स्टेट होता है, अगले दिन वह टैरिफ का निशाना बन जाता है। एक दिन ट्रम्प कहते हैं कि वे सबसे अच्छे लोगों को नियुक्त करते हैं, अगले ही दिन नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल से 100 से अधिक विशेषज्ञों को निकाल दिया जाता है, जबकि उनमें से कई तो कुछ सप्ताह पहले ही भर्ती किए गए थे। यही बात इलॉन मस्क के बारे में भी कही जा सकती है। एक दिन वे वर्जीनिया गोल्फ क्लब में अपने मीमकॉइन के सबसे बड़े खरीदारों के लिए समारोह आयोजित करते हैं, जिन्होंने प्रेसिडेंशियल सील के पीछे खड़ा होकर उनकी बात सुनने का मौका पाने के​ लिए 148 मिलियन डॉलर खर्च कर दिए थे। और व्हाइट हाउस प्रवक्ता का कहना है कि यह भ्रष्टाचार नहीं है, क्योंकि राष्ट्रपति ने अपने निजी समय में इस आयोजन में हिस्सा लिया था। ट्रम्प फिलहाल अपनी निजी सनकों के आधार पर राज कर रहे हैं। उनकी सरपरस्ती में सरकारी एजेंसियों के बीच बहुत कम या नगण्य तालमेल नजर आता है। वे प्राधिकार की किसी वास्तविक सीमा का सम्मान नहीं करते, जिसमें उनके गोल्फ के साथी (स्टीव विट्कॉफ) विदेश मंत्री की तरह काम करने लगते हैं और उनके विदेश मंत्री मार्को रूबियो पनामा में उनके राजदूत की भूमिका निभाने लगते हैं। जो भी उन्हें रोकने की कोशिश करता है, वे उसे कोर्ट में जाने के लिए मजबूर करते हैं। उनकी कार्यशैली ऐसी है कि कानूनी जिम्मेदारियों और निजी समृद्धता के बीच की मर्यादाएं गड्डमड्ड हो गई हैं। यह सब हमें क्या बताता है? यह नहीं कि हम एक पारम्परिक अमेरिकी प्रशासन द्वारा शासित नहीं हो रहे हैं। बल्कि यह कि हम पर ट्रम्प ऑर्गेनाइजेशन इनकॉर्पोरेशन का राज है! अपने पहले कार्यकाल में ट्रम्प खुद को ऐसे लोगों से घिरा हुआ रखते थे, जो उन्हें किसी सम्भावित नुकसान से बचा सकें। लेकिन अपने दूसरे कार्यकाल में उन्होंने अपने चारों ओर सिर्फ और सिर्फ चाटुकारों की फौज जमा कर रखी है। पहले कार्यकाल में उन्होंने अराजकतापूर्ण शैली से ही सही, लेकिन मानकों के अनुरूप शासन किया था। लेकिन दूसरे कार्यकाल में वे बिना किसी रोकटोक के अमेरिकी सरकार को इस तरह से चला रहे हैं, जैसे कि वे अपनी निजी कम्पनी को चला रहे हों। केवल बाजार और अदालतें ही उन्हें रोकने में सक्षम हैं। इसमें बहुत हद तक डेमोक्रेट्स की अपनी कमजोरी का भी योगदान है। पद सम्भालने के कुछ ही हफ्तों बाद ट्रंप ने ऑटो इंडस्ट्री से कोई गंभीर सलाह-मशविरा किए बिना ही ग्लोबल टैरिफ की कई घोषणाएं कर दीं। इसी बीच, उन्हें पता चला कि लोकप्रिय फोर्ड एफ-150 के केवल एक-तिहाई पुर्जे ही अमेरिका में बनते हैं और इन्हें कभी भी बहुत जल्दी नहीं बदला जा सकता। टैरिफ घोषणाओं से ऑटो इंडस्ट्री को बड़ा धक्का पहुंचा और फोर्ड, जनरल मोटर्स और स्टेलेंटिस जैसी कंपनियों ने घोषणा की कि टैरिफ को लेकर असमंजस और सप्लाई-चेन गड़बड़ाने की संभावना के चलते वे इस साल की शेष अवधि के लिए आय के पूर्वानुमान नहीं बता सकतीं। फिर जैसा कि पूर्वानुमान था, चीन ने ट्रम्प द्वारा 145 प्रतिशत टैरिफ लगाने पर प्रतिक्रिया दी। टाइम्स के बीजिंग संवाददाता कीथ ब्राडशर ने अपनी हाल की रिपोर्ट में बताया है कि बीजिंग ने अचानक से रेयर अर्थ मैग्नेट का निर्यात रोक दिया है, जो अमेरिका में निर्मित होने वाली कारों, ड्रोन्स, रोबोट और मिसाइल में काम आता है। अब ट्रम्प यदि चीन पर लगाए टैरिफ पर कोई सौदेबाजी नहीं कर पाते हैं तो अमेरिकी कार फैक्ट्रियों को आगामी दिनों या हफ्तों में उत्पादन में कटौती करना पड़ सकती है। आपको क्या लगता है इस बात की कितनी सम्भावना है कि ट्रम्प ने चीन पर टैरिफ लगाने के बाद होने वाले परिणामों से निपटने के बारे में पहले से सोच लिया होगा? मैं शर्तिया कहता हूं कि कतई नहीं। उन्होंने बस मनमानी की है। अपने पहले कार्यकाल में ट्रम्प खुद को ऐसे लोगों से घिरा हुआ रखते थे, जो उन्हें किसी सम्भावित नुकसान से बचा सकें। लेकिन दूसरे कार्यकाल में उन्होंने अपने चारों ओर सिर्फ चाटुकारों की फौज जमा कर रखी है। (द न्यूयॉर्क टाइम्स से)