शहडोल में बेमौसम बारिश से किसानों की मुश्किलें बढ़ीं:धान की कटी फसल हुई अंकुरित; मुआवजे के लिए कलेक्ट्रेट में लगाई गुहार

शहडोल में बेमौसम बारिश से किसानों की मुश्किलें बढ़ीं:धान की कटी फसल हुई अंकुरित; मुआवजे के लिए कलेक्ट्रेट में लगाई गुहार

Published at : 2025-11-01 09:35:24
शहडोल जिले में बेमौसम बारिश ने किसानों के सामने गंभीर संकट खड़ा कर दिया है। लगातार हो रही वर्षा से खेतों में पानी भर गया है, जिससे धान की कटी फसलें अंकुरित होने लगी हैं। स्थिति इतनी खराब है कि कई किसानों ने अपनी अंकुरित फसलें लेकर ही कलेक्ट्रेट पहुंचकर प्रशासन को दिखाईं और जल्द सर्वे कराकर मुआवजे की मांग की। खेतों में घुटनों तक पानी, फसलें सड़ने लगीं किसान अरुण तिवारी ने बताया कि जिन खेतों में धान की कटाई पहले ही हो चुकी थी, वहां पानी भरने से फसलें पूरी तरह भीग गईं और उनमें नया अंकुरण शुरू हो गया है। कई जगहों पर कटने के लिए तैयार फसलें भी खेतों में गिरकर सड़ने लगी हैं। उन्होंने कहा कि मेहनत से तैयार की गई फसल अब खेत में ही बर्बाद हो गई है, अगर प्रशासन ने मदद नहीं की तो हम पूरी तरह टूट जाएंगे। कलेक्ट्रेट पहुंचे किसान, सर्वे की मांग किसानों ने भाजपा किसान मोर्चा के नेता रविकांत के नेतृत्व में कलेक्ट्रेट पहुंचकर अधिकारियों को ज्ञापन सौंपा। उन्होंने बताया कि जिलेभर के किसानों की फसलें बेमौसम बारिश से बुरी तरह प्रभावित हुई हैं। प्रशासन से मांग की गई है कि जल्द सर्वे कराकर प्रभावित किसानों को मुआवजा दिया जाए। किसान राकेश द्विवेदी ने कहा कि धान की फसल में लगाई गई हमारी सालभर की मेहनत अब पानी में बह गई है। सरकार हमारी स्थिति को गंभीरता से लेकर तुरंत राहत दे। औसत से ज्यादा हुई बारिश, खेत बने तालाब मौसम विभाग के अनुसार, शहडोल जिले में अब तक लगभग 47.5 इंच (1207.4 मिमी) वर्षा दर्ज की गई है, जो पिछले साल की 42.6 इंच (1082.7 मिमी) औसत से करीब 5 इंच अधिक है।विभिन्न क्षेत्रों में हुई बारिश इस प्रकार रही- 30 अक्टूबर को भी जिले में औसतन 0.6 इंच (16.1 मिमी) बारिश दर्ज की गई थी। किसान बोले- प्रशासन पर उम्मीदें टिकीं किसानों का कहना है कि अब उनकी एकमात्र उम्मीद प्रशासन पर टिकी है। अगर जल्द सर्वे और मुआवजे की प्रक्रिया शुरू नहीं हुई, तो किसानों के सामने आर्थिक संकट और गहराएगा।कलेक्ट्रेट में पहुंचे किसानों ने कहा कि वे बार-बार अपील करते रहेंगे, जब तक कि उनकी बात सुनी नहीं जाती।